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रांची : रिटायर्ड जस्टिस बोले -सीएम ने पहले ही अपने हलफनामे में खदान का जिक्र किया था इसलिए कोई अपराधिक मामला नहीं बनता

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रांचीः
खदान लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगाए गए आरोप का मामला भारत निर्वाचन आयोग के पास है। आयोग को ही अंतिम निर्णय लेना है। विपक्ष के आरोप के बाद सरकार भी अपने स्तर पर कानून के जानकारों से राय सलाह कर रही है। इधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने कहा है कि ऐसे मामलों में सरकार या कोई भी बर्खास्त नहीं हो सकता। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजमेंट का हवाला दिया है। 


गुड्स ऑफ बिजनेस में नहीं आता
रिटायर्ड जस्टिस ने कहा की सी वी के राव बनाम दत्तू भास्करा -1964 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9(A) के तहत माइनिंग लीज का मामला सप्लाई आफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता। 2001 में करतार सिंह बड़ाना बनाम हरि सिंह नलवा व अन्य और 2006 में श्रीकांत बनाम वसंतराव व अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का निर्णय दिया था।


कोई अपराध नहीं बनता 
जस्टिस गांगुली ने कहा कि धारा 9(A)   के तहत सभी तरह के मामलों में किसी भी व्यक्ति को उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता केवल सप्लाई आफ गुड्स और सरकारी कामों का उपयोग करने में ही ऐसा किया जा सकता है - बीज का मामला इस में नहीं आता उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही अपने चुनावी हलफनामे में इस बात का जिक्र किया है कि उनके नाम से एक माइंस लीज पर है जिसे उन्होंने रिनुअल के लिए भेजा है ऐसे में तो कोई अपराधिक मामला बनता।